आज कुछ अजीब सा हूँ मैं...बोझिल सा थका हुआ
शायद कुछ खो गया है मेरा...
या शायद जिंदगी नाराज है मुझसे...या शायद कोई और वजह है |
यूँ तो सब वैसा ही है पहले जैसा .... पर आदतें अजब सी लग रहीं हैं..
दिल तो अब भी वही है पर क्योँ लगता है जैसे..
ख्वाहिशें अजब से हैं...
हो सकता है वो याद आ रही है इसलिए...
या ये भी हो सकता है की मैं उस से दूर आ गया हूँ इसलिए...
जो भी हो कुछ वजह भी और कोई सिरा भी है |
शाम उसको देखो तो कुछ पहचाना सा लगा ...
वो अनजाना सा चेहरा कुछ जाना पहचाना सा लगा..
वही हरकत .... वो शरारत... वो मासूम सा भोला सा मुखडा ...
बिलकुल अपने आशियाने सा लगा |
सच में अगर ये मोहब्बत की शुरुआत है तो पडाव क्या होंगे...मंजिलें क्या होंगी...
और तब क्या होगा जब हम साथ होंगे...
एक दुसरे के साथ होंगे.... कुछ तो होगा....कुछ नया ....अजब सा ...
जिसकी कोई वजह नहीं होगी..जो बस होगा...होने के लिए...
खो जाने के लिए...और शायद...
ये कहने के लिए...
" की दूर तो हैं तुमसे हम .. पर मोहब्बत पे रश्क रखना.....
गर जमाना खिलाफत में है .. जमाने से शर्त रखना..
इश्क गर है खुदा तो खुदा संभालेगा...
बस जरा ये करना.. कि हौसले बुलंद रखना...
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