Kunwar C.P.Singh
..................

फलों का राजा आम...!
जैसे ही गर्मी शुरू होती है जेहन में एक फल का नाम सबसे ज़्यादा आता है और वो है फलों का राजा आम...पोषण का धनी यह जब फल बाज़ार में आता है तो अपनी तमाम क़िस्मों और स्वादों से जी को ललचाने लगता है...इसका शाही पीलापन बाकी सभी फलों को फीका कर देता है. आम अपनी बेहतरीन मिठास के साथ स्वादिष्ट, गूदेदार और रसदार फल है...विडंबना ही है कि भारत और पूरी दुनिया में फलों के राजा के नाम से जाना जाने वाले इस फल 'आम' का देसी भाषा में मतलब भी होता है सामान्य...संस्कृत साहित्य में इसका ज़िक्र आम्र के नाम से होता है और 4000 साल से इसे उगाया जाता रहा है...अंग्रेज़ी भाषा का मैंगो तमिल शब्द मंगाई से आया है. असल में पुर्तगालियों ने तमिल से लेकर इसे मंगा के रूप में स्वीकार किया, जहां से अंग्रेज़ी का शब्द मैंगो आया...भारत ऐसी लोककथाओं का धनी देश है, जिनमें अक्सर सांस्कृतिक रिवाज़ और धार्मिक रस्में गुथीं होती हैं...आम और आम के पेड़ के मिथक से जुड़ी कई सारी कहानियां हैं. इनमें से हम कुछ को यहां दे रहे हैं...!!

भारतीय महाकाव्यों रामायण और महाभारत में आम के ज़िक्र आते हैं...आम के पेड़ का कई जगह कल्पवृक्ष, हर इच्छा पूरी करने वाले के रूप में वर्णन मिलता है...इस पेड़ की छाया के अलावा इससे कई धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं जैसे, राधा कृष्ण का पौराणिक नृत्य, शिव और पार्वती का विवाह आदि...गौतम बुद्ध का सबसे पसंदीदा जगह आम का बगीचा था. बौद्ध कलाकृतियों में इसकी भरमार है...एक शताब्दी ईसा पूर्व के सांची स्तूप के द्वार पर एक कलाकृति है जिसमें एक यक्षी फलों से लदी एक डाल से लिपटी हुई है...!!

टैगोर को भी आम बेहद पसंद थे और उन्होंने आम के बौर पर एक कविता लिखी है- आमेर मंजरी......
ओ मंजरी, ओ मंजरी, आमेर मंजरी
क्या तुम्हारा दिल उदास है
तुम्हारी खुशबू में मिल कर मेरे गीत सभी दिशाओं में फैलते हैं
और लौट आते हैं
तुम्हारी डालों पर चांदनी की चादर
तुम्हारी खुशबू को अपनी रोशनी में समेटती है
खुशबू से मदमत्त करने वाली दखिनी हवा
हर दरवाज़े के अंदर तक जाती है
और भाव विभोर कर जाती है...!!

महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब के एक दोस्त और साथी शायर आम के प्रति उनके झुकाव के बारे में नहीं जानते थे...उन्होंने देखा कि एक गधा आम के ढेर तक गया और सूंघ कर वापस लौट आया...दोस्त ने कहा, "देखा, गधे भी आम नहीं खाते." ग़ालिब का जवाब था, "बिल्कुल, केवल गधे ही आम नहीं खाते." सूफ़ी कवि अमिर ख़ुसरो ने फ़ारसी काव्य में आम की खूब तारीफ़ की थी और इसे फ़क्र-ए-गुलशन नाम दिया था...हालांकि, ऐसा जान पड़ता है कि 632 से 645 ईस्वी में भारत की यात्रा पर आए ह्वेनसांग पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भारत के बाहर के लोगों से इसका परिचय कराया था...यही नहीं, आम सभी मुग़ल बादशाहों का पसंदीदा था...इसकी फसल को विकसित करने में उन्होंने कोशिशें की थीं और भारत की अधिकांश विकसित क़िस्मों के लिए उन्हीं को श्रेय जाता रहा है...!!!
फलों का राजा आम...! जैसे ही गर्मी शुरू होती है जेहन में एक फल का नाम सबसे ज़्यादा आता है और वो है फलों का राजा आम...!!
जवाब देंहटाएंपोषण का धनी यह जब फल बाज़ार में आता है तो अपनी तमाम क़िस्मों और स्वादों से जी को ललचाने लगता है...!!
जवाब देंहटाएंपोषण का धनी यह जब फल बाज़ार में आता है तो अपनी तमाम क़िस्मों और स्वादों से जी को ललचाने लगता है...!!
जवाब देंहटाएंइसका शाही पीलापन बाकी सभी फलों को फीका कर देता है. आम अपनी बेहतरीन मिठास के साथ स्वादिष्ट, गूदेदार और रसदार फल है...!!
जवाब देंहटाएंविडंबना ही है कि भारत और पूरी दुनिया में फलों के राजा के नाम से जाना जाने वाले इस फल 'आम' का देसी भाषा में मतलब भी होता है सामान्य...संस्कृत साहित्य में इसका ज़िक्र आम्र के नाम से होता है और 4000 साल से इसे उगाया जाता रहा है...!!
जवाब देंहटाएंअंग्रेज़ी भाषा का मैंगो तमिल शब्द मंगाई से आया है. असल में पुर्तगालियों ने तमिल से लेकर इसे मंगा के रूप में स्वीकार किया, जहां से अंग्रेज़ी का शब्द मैंगो आया...भारत ऐसी लोककथाओं का धनी देश है, जिनमें अक्सर सांस्कृतिक रिवाज़ और धार्मिक रस्में गुथीं होती हैं...आम और आम के पेड़ के मिथक से जुड़ी कई सारी कहानियां हैं. इनमें से हम कुछ को यहां दे रहे हैं...!!
जवाब देंहटाएं